Best Journaling coach in India

Manisha Gupta

मेरी जर्नलिंग यात्राआपके साथ

नमस्ते,
 मैं हूँ मनीषा गुप्ता। पिछले 15 वर्षों से मैं जर्नलिंग कोचिंग के क्षेत्र में काम कर रही हूँ और इस यात्रा में मैंने न जाने कितने ही लोगों को अपनी कलम से खुद को समझते, सँभालते और निखरते देखा है। ‘Omnaaya’ का उद्देश्य है – आत्म-खोज, आत्म-प्रेम और जीवन में संतुलन लाना। और जर्नलिंग इस यात्रा की सबसे प्रभावशाली साधना है।

आज मैं आपको बताना चाहती हूँ कि जर्नलिंग सिर्फ डायरी लिखना नहीं है, यह एक गहराई से जुड़ा संवाद है – खुद से खुद की बात करने का तरीका। यह आपकी भावनाओं को, सोच को, और आपके जीवन के अनुभवों को कागज़ पर उतारने की एक सहज और शक्तिशाली प्रक्रिया है।

जर्नलिंग क्या है?

जर्नलिंग का मतलब है – हर दिन, हर हफ्ते या जब भी ज़रूरत हो, अपने विचारों, भावनाओं, अनुभवों को लिखना। यह कोई नियमबद्ध या “सही-गलत” प्रक्रिया नहीं है। इसमें न तो भाषा की शुद्धता मायने रखती है, न ही लेखन की शैली। बस, ज़रूरत है ईमानदारी की – अपने आपसे।

जब हम कागज़ पर लिखते हैं, तो हमारे मन की उलझनें धीरे-धीरे सुलझने लगती हैं। कभी-कभी जवाब हमारे भीतर होते हैं, बस उन्हें बाहर लाने के लिए एक माध्यम चाहिए – और वही है जर्नलिंग।

जर्नलिंग के फ़ायदे

आप सोच रहे होंगे – “लिखने से क्या बदल जाएगा?”
 मैंने अपने अनुभवों से देखा है, जर्नलिंग जीवन में कई अद्भुत बदलाव ला सकती है:

1. मानसिक स्पष्टता (Mental Clarity)

जब हम लिखते हैं, तो हमारे विचार स्पष्ट होते हैं। जो बातें मन में घूमती रहती हैं, उन्हें कागज़ पर रखने से वो बोझ हल्का लगता है।

2. भावनात्मक संतुलन (Emotional Balance)

जर्नलिंग हमें अपनी भावनाओं को पहचानने और उन्हें सही तरीके से व्यक्त करने में मदद करती है। इससे तनाव, चिंता, और गुस्से को बेहतर तरीके से समझा जा सकता है।

3. आत्मज्ञान (Self-awareness)

जब हम रोज़ अपने अनुभव और सोच को लिखते हैं, तो धीरे-धीरे हमें अपने पैटर्न समझ में आते हैं – क्या हमें प्रेरित करता है, क्या निराश करता है, किन बातों से डर लगता है।

4. निर्णय लेने की शक्ति

जब किसी निर्णय को लेकर हम असमंजस में होते हैं, तो उस स्थिति को लिखने से सोचने का नया दृष्टिकोण मिलता है। कई बार जवाब खुद-ब-खुद सामने आ जाते हैं।

जर्नलिंगजीवन के हर क्षेत्र में सहायक

 करियर में स्पष्टता और दिशा

कई बार हम अपनी नौकरी या करियर को लेकर असमंजस में होते हैं। क्या मैं सही रास्ते पर हूँ? क्या मुझे बदलाव करना चाहिए?
 जर्नलिंग के ज़रिए आप अपने जुनून, ताकत और उद्देश्य को बेहतर तरीके से पहचान सकते हैं। जब आप रोज़ अपने लक्ष्यों और विचारों को लिखते हैं, तो धीरे-धीरे दिशा स्पष्ट होती जाती है।

रिश्तों में समझ और गहराई

रिश्ते जटिल हो सकते हैं – दोस्ती, परिवार, जीवनसाथी। जब हम अपने अनुभवों और भावनाओं को लिखते हैं, तो हम दूसरों को बेहतर समझने लगते हैं। जर्नलिंग से हम प्रतिक्रिया देने से पहले विचार करना सीखते हैं, जिससे संवाद सुधरता है।

स्वास्थ्य और मानसिक शांति

जर्नलिंग स्ट्रेस मैनेजमेंट का एक बेहतरीन तरीका है। नियमित रूप से लिखने से नींद बेहतर होती है, बेचैनी कम होती है, और शरीर भी सकारात्मक ऊर्जा महसूस करता है। अपने स्वास्थ्य लक्ष्यों को लिखना, ट्रैक करना – ये सब आपके स्वास्थ्य को बेहतर बना सकता है।

व्यक्तिगत विकास और आत्मप्रेरणा

हर इंसान अपने जीवन में बेहतर बनना चाहता है – एक बेहतर इंसान, बेहतर माता-पिता, बेहतर पेशेवर। जर्नलिंग एक दर्पण है जो आपके विकास की यात्रा को दिखाता है। इसमें आप अपनी गलतियों से सीखते हैं, अपनी उपलब्धियों को मनाते हैं और आगे बढ़ते हैं।

जर्नलिंग का जादू: मेरी खुद की यात्रा

कभी-कभी, जब जीवन बहुत हलचल में होता है, तो हम अपने विचारों और भावनाओं को समझने में उलझ जाते हैं। मुझे याद है जब मैंने पहली बार जर्नलिंग शुरू की थी, तो मुझे लगा था कि यह केवल समय की बर्बादी होगी। लेकिन जल्द ही मुझे एहसास हुआ कि यह मेरे लिए कितना खास था।
 एक दिन, जब मुझे एक बड़े फैसले को लेकर बहुत उलझन हो रही थी, तो मैंने अपनी डायरी को खोला। मैंने अपनी हर चिंता को कागज़ पर लिखा। और जब मैंने फिर से पढ़ा, तो मैंने पाया कि मेरे अंदर पहले से ही जवाब थे – बस मुझे उन्हें बाहर लाने की ज़रूरत थी।

कैसे शुरू करें?

शुरू करना सबसे मुश्किल लगता है, पर सच कहूँ तो – यह जितना सरल है, उतना ही प्रभावशाली भी।

एक डायरी या नोटबुक रखें

कोई भी सिंपल कॉपी चलेगी। आप चाहें तो डिजिटल ऐप्स भी इस्तेमाल कर सकते हैं, पर मैं हमेशा लिखने की प्रक्रिया को प्राथमिकता देती हूँ।

दिन में 5–10 मिनट दें

सुबह या रात – जो समय आपको अच्छा लगे। बस उस वक्त आप और आपकी डायरी हों।

क्या लिखें?

शुरू में ये सवाल आता है – क्या लिखें?
 तो मैं कुछ सरल प्रश्न देती हूँ:

  • आज मैंने कैसा महसूस किया?
  • दिन की सबसे अच्छी बात क्या रही?
  • किस बात ने मुझे परेशान किया और क्यों?
  • मैं अपने लिए क्या चाहता/चाहती हूँ?

धीरे-धीरे आप खुद अपने सवाल बनाना शुरू कर देंगे।

मेरी जर्नलिंग कोचिंग में क्या होता है?

मेरे साथ जर्नलिंग कोचिंग में आप सीखते हैं:

  • कैसे खुद से ईमानदारी से बात करें
  • कैसे अपने विचारों और भावनाओं को दिशा दें
  • जीवन में संतुलन और उद्देश्य को समझना
  • पर्सनल ग्रोथ के लिए नियमित प्रैक्टिस

मैं आपकी यात्रा में एक मार्गदर्शक की तरह होती हूँ – लेकिन रास्ता, आवाज़ और मंज़िल आपकी अपनी होती है।

अंत मेंएक निमंत्रण

अगर आप जीवन में ठहराव महसूस कर रहे हैं, अगर आपके भीतर बहुत कुछ है जिसे आप समझना चाहते हैं, या अगर आप बस खुद को थोड़ा और गहराई से जानना चाहते हैं – तो जर्नलिंग आपके लिए है।

‘Omnaaya’ पर हम यही करते हैं – आपको खुद से मिलवाते हैं, प्रेम करना सिखाते हैं और जीवन को समझने का एक सरल पर गहन तरीका बताते हैं।

तो आइए, कलम उठाइए, एक पन्ना खोलिए – और खुद से मिलने की यात्रा शुरू कीजिए।

आपका मार्गदर्शन करने के लिए,
 –
मनीषा गुप्ता
 (जर्नलिंग कोच, 15 वर्षों का अनुभव)

(FAQs) 

1. जर्नलिंग क्या है?

जर्नलिंग एक प्रक्रिया है जिसमें आप अपने विचारों, भावनाओं, और जीवन के अनुभवों को कागज़ या डिजिटल प्लेटफॉर्म पर लिखते हैं। यह आत्म-खोज, मानसिक स्पष्टता और भावनात्मक संतुलन प्राप्त करने का एक शक्तिशाली तरीका है।

2. क्या मुझे हर दिन जर्नलिंग करनी चाहिए?

नहीं, यह पूरी तरह से आपकी पसंद है। कुछ लोग हर दिन लिखना पसंद करते हैं, जबकि कुछ लोग इसे हफ्ते में एक बार करते हैं। बस यह जरूरी है कि आप इसे नियमित रूप से करें ताकि इससे आपको लाभ मिले।

3. क्या जर्नलिंग के लिए कोई खास तरीका या शैली है?

नहीं, जर्नलिंग में कोई खास शैली या तरीका नहीं होता। आप जैसे चाहें लिख सकते हैं – यह एक व्यक्तिगत प्रक्रिया है। बस आपके विचारों और भावनाओं को व्यक्त करने की स्वतंत्रता होनी चाहिए।

4. क्या जर्नलिंग से मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है?

जी हां! जर्नलिंग मानसिक स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद हो सकता है। यह तनाव को कम करता है, आत्म-विश्वास बढ़ाता है, और आपको अपनी भावनाओं को समझने और व्यक्त करने में मदद करता है।

5. क्या जर्नलिंग से मेरी रचनात्मकता में सुधार हो सकता है?

बिलकुल! जब आप नियमित रूप से लिखते हैं, तो यह आपकी रचनात्मक सोच को उत्तेजित करता है। आप नए विचारों, समाधानों और दृष्टिकोणों को विकसित करने में सक्षम होते हैं।

6. क्या मुझे जर्नलिंग करने के लिए एक विशेष जगह की आवश्यकता है?

नहीं, आप कहीं भी और कभी भी जर्नलिंग कर सकते हैं – जैसे आपके घर का आरामदायक कोना, पार्क में बैठते हुए, या यात्रा के दौरान। जहां आपको शांति मिले, वहाँ आप लिख सकते हैं।

7. क्या जर्नलिंग से मुझे जीवन के महत्वपूर्ण निर्णयों में मदद मिल सकती है?

जी हां! जर्नलिंग से आपके विचार स्पष्ट होते हैं और यह आपको अपने निर्णयों पर आत्म-विश्वास देता है। जब आप लिखते हैं, तो आपके सामने नए दृष्टिकोण और समाधान सामने आ सकते हैं।

8. क्या जर्नलिंग से आत्मसंवेदनशीलता बढ़ सकती है?

हाँ, जर्नलिंग के जरिए आप अपने भीतर के विचारों, भावनाओं और पैटर्न को पहचान सकते हैं। यह आत्म-जागरूकता को बढ़ाता है और आपको अपने अंदर की असली आवाज़ सुनने में मदद करता है।

9. क्या मुझे हर बार कुछ गंभीर लिखने की आवश्यकता है?

नहीं, बिल्कुल नहीं! जर्नलिंग का उद्देश्य खुद को व्यक्त करना है, चाहे वह खुशी का क्षण हो, दुख का अनुभव, या बस आपके दिन की सामान्य बातें। कभी-कभी हल्के-फुल्के विचार भी महत्वपूर्ण होते हैं।

10. क्या मुझे किसी खास समय पर जर्नलिंग करनी चाहिए?

यह आपके ऊपर निर्भर करता है! कुछ लोग सुबह उठते ही अपनी भावनाएँ और विचार लिखते हैं, तो कुछ लोग रात को सोने से पहले। जब भी आपको लगे कि आप शांति से अपनी भावनाओं और विचारों को व्यक्त कर सकते हैं, वही सबसे अच्छा समय होगा।

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